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याद तेरी सताती रही रात भर / राम नाथ बेख़बर
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याद तेरी सताती रही रात भर
आह दिल में जगाती रही रात भर।
मुझको मालूम है मेरी यादों में तुम
चाँदनी में नहाती रही रात भर।
चाँद तन्हाई में छिप के सोता रहा
अश्क़ आँखें बहाती रही रात भर।
आँखें ग़मगीन थी,दिल भी बेचैन था
रूह दीपक जलाती रही रात भर।
रौशनी है खफ़ा जाने क्यूँ आज कल
तीरगी गीत गाती रही रात भर।
बेख़बर चाँद छत से दिखा था मग़र
तेरी सूरत ही भाती रही रात भर।