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यायावर / योगेंद्र कृष्णा
Kavita Kosh से
जंगल से पेड़ उठा कर
बाग में लगा सकते हो
इतने से लेकिन
बाग जंगल नहीं हो जाता
अपना पूरा बाग
जंगल को सौंप सकते हो
लेकिन जंगल फिर भी
बाग नहीं कहलाता
जंगल होने के लिए
प्रेम करने का हौसला चाहिए
उन चीजों से
जो तुम्हारी नज़र में
ज़रूरी नहीं सुंदर हों
इसके लिए तुम्हें
अपने बाग से निकल कर
यायावर हो जाना होगा
एक ऐसा यायावर
जो अपनी थकान के बावजूद
मुग्ध होता है हर पेड़ पर
और नहीं जनता
फिर भी किसी
पेड़ का नाम…