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यारो किसी गिरगिट का किरदार जिया करना / राम मेश्राम

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यारो किसी गिरगिट का किरदार जिया करना
दुनिया में अगर ख़ुद को ख़ुद्दार कहा करना

हर रोज़ गढा करना फैशन के नए फ़ित्ने
हर बार तनाजों का संसार रचा करना

चुन-चुन के दफ़ा करना सच बोलने वालों को
चमचों के कसीदों का दरबार सजा रखना

इन्सान की फ़ितरत में जीने से तो बेहतर है
इस दौर में दिल्ली का बाज़ार हुआ करना

हम आलिमो-दानिश की औक़ात है बस इतनी
दौलत के इशारों पर सौ बार बिका करना

पैसों के लिए पाग़ल होती हुई दुनिया में
मत बोलिए, ईमाँ का मेयार बचा रखना

दौलत से, सियासत से जारी है लडाई तो
हर वक़्त शहादत को तैयार रहा करना

आँसू से, पसीने से, कुछ ख़ून की बूँदों से
सूखी हुई कविता का संसार हरा रखना