Last modified on 8 अप्रैल 2012, at 02:23

या गाँव को बंटाढार बलमा / प्रभात

याकी कबहुँ पड़े ना पार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

इसकूल कू बनबा नाय देगौ
बनती इसकूल को ढाय देगौ
यामैं छँट-छँट बसे गँवार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

या कू एक पटैलाँई ले बैठी
काँई सरपंचाई ले बैठी
बोटन म लुटाया घरबार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

छोरी के बहयाव म लख देगौ
छोरा के म दो लख लेगौ
छोरा-छोरी कौ करै ब्यौपार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

या की छोरी आगे तक रौवै है
पढबा के दिनन कू खोवै है
चूल्हा फूँकै झकमार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

या का छोरा बिंगड़ै कोनी पढै
दस्सूई सूँ आगै कोनी बढै
इनकू इस्याई मिल्या संस्कार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

पैलाँई कमाई कम होवै
ऊपर सूँ कुरीति या ढोवै
बात-बात म जिमावै बामण चार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

कुटमन की काँई चलाई लै
भाई कू भाई देख जलै
यामै पनपै कैसे प्यार बलमा
या गाँव कौ बंटाढार बलमा

बनती कोई बात बनन ना दे
करै भीतर घात चलन ना दे
यामै कैसै सधै कोई कार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा

यामै म्हारी कोई हेट नहीं
दिनरात खटूँ भरै पेट नहीं
या गाँव म डटूँ मैं काँई खार बलमा
या गाँव को बंटाढार बलमा