भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

या तो जादू तुझे श्याम हुनर आता है / बिन्दु जी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

या तो जादू तुझे श्याम हुनर आता है।
या तेरे चाहने वालों में तेरा ही असर आता है।
जाता जिस कूचे में हूँ तेरा ही घर आता है,
सिर झुकाता हूँ जहाँ तेरा ही दर आता है।
दिल के शीशे में तू इस तौर उतर आता है,
जिस तरफ देखता हूँ तू नज़र आता है।
‘बिन्दु’ आँसू का नहीं आँख में भर आता है,
प्रेम सागर से ये अनमोल लहर आता है॥