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युग-धर्म / कालीकान्त झा ‘बूच’
Kavita Kosh से
अहाँ लोकनि नेता छी!
कलियुग मे अपनहि सभ
आनि रहल त्रेता छी!'
औजी मिनिस्टर जी?
घूसखोर आन लोक
अहाँ तकर सिस्टर छी!
ह' म कर्मचारी छी
स्वर्गक अछि योग मुदा
लोक संसारी छी!
औजी एम्मेले जी
कैंचा बटोरल अछि
फेर-फेर भेल्ले छी!
अहाँ कांट्रेक्टर छी
देश दहन सुन्दर सन
काण्ड केर एक्टर छी!
अहाँ इंजीनियर छी
पेंचर एहि गाड़ी केर
फ्री-थ्री टीयर छी!
अहाँ लोकनि टीचर छी
अहिना आराम करू
टूटल फर्नीचर छी!
ह'म त' निमूधन छी
तापि लैह आगि तहूँ
अयलखे अगहन छी!
हम भाइ जनता छी
शासन अहींक मुदा
पाठी त' मंता छी!