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युद्ध के समय में एक विचार / सरिता शर्मा / विलियम बटलर येट्स

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जब मैं धमनी की एक धड़कन के लिए,
हवा से टूटे बूढ़े पेड़ के नीचे,
बूढ़े भूरे पत्थर पर बैठ गया था
मैं जानता था कि ईश्वर चेतन है
मानव जाति उसकी निर्जीव कल्पना।

मूल अँग्रेज़ी से सरिता शर्मा द्वारा अनूदित

लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
A MEDITATION IN TIME OF WAR

FOR one throb of the artery,
While on that old grey stone I Sat
Under the old wind-broken tree,
I knew that One is animate,
Mankind inanimate fantasy’.