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युद्ध / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

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युद्धमे
मरै
झड़कै
कोनो दिसक लोक
उदास
गामे-घर होइत छैक
मसोमात
स्त्रिये होइत छैक
दुग्गर
बुतरुये होइत छैक।

स्थगित करू
अपन-अपन
भीतरक युद्ध।