भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

युवा कवि राहुल शिवाय / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कंधा पर जुआ लेनें, आवी गेलै शिवाय।
अंग-अंगिका वासतें, राहुल धूम मचाय।।

खोजै छेलै अंगिका, सेवा लेली विकल्प।
जग भर फैलै अंगिका, राहुल रोॅ संकल्प।।

सालोॅ नै पुरलै अभी, देलकै तीन किताब।
राहुल जिनगी समय के, लेतै सही हिसाब।।

साल सिर्फ तेइस उमर, लागै चतुर सुजान।
जीवन अरू साहित्य में, राहुल एक समान।।

लौकेॅ आँखोॅ में ललक, खोजै नया मुकाम।
राहुल रोॅ साहित्य छै, देश प्रेम रोॅ नाम।।

तरसै स्वातिबूंद लेॅ, राणा रोॅ मेवाड़।
राहुल रोटी घास रोॅ, खइहौ खाड़े-खाड़।।

राहुल बदलोॅ देश रोॅ, आबी केॅ तकदीर।
टुटलोॅ अरू बिखरलोॅ छै, भारत रोॅ तस्वीर।।