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यूँ अगर आप मोहन मुकर जाएँगे / बिन्दु जी
Kavita Kosh से
यूँ अगर आप मोहन मुकर जाएँगे,
तो भला हमसे पापी किधर जाएँगे।
जब तरंगे नहीं तो ये सच जानिए,
आपका नाम हम बदनाम कर जाएँगे।
चाहते कुछ हो रिश्वत तो है क्या यहाँ?
हाँ, गुनाहों से भण्डार भर जाएँगे।
यही है यकीं ‘बिन्दु’ गर चश्मे तर से बहें,
तो तुम्हें करके तर ख़ुद भी जाएँगे।