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यूँ तर्क किया साक़ी हमने तेरा मयख़ाना / बलबीर सिंह 'रंग'

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यूँ तर्क किया साक़ी हमने तेरा मयख़ाना,
देखा न गया हमसे दस्तूरे जुदागाना।

इस हाल में रहता है अब तो तेरा दीवाना,
उन्वान का उनवाँ है, अफ़साने का अफ़साना।

ज़िन्दाँ से न कुछ बेहतर है निज़ामे आशियाना,
वीराने में बस्ती है, बस्ती में है वीराना।

तेरी अंजुमन में तनहा मेरा रंग शायराना,
दानाओं में दाना है, दीवानों में दीवाना।