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येमिन मोश की पवनचक्की / येहूदा आमिखाई

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यह पवनचक्की कभी आटा नहीं पीसती.
यह पीसती है पवित्र हवा और लालसा से भरे
बियालिक के पक्षियों को, यह शब्दों को पीसती है
और समय को, यह बारिश को पीसती है
और यहाँ तक कि सीपियों को भी
मगर यह कभी आटा नहीं पीसती ।

अब इसने खोज निकाला है हमें,
और पीसे जा रही है हमारी ज़िंदगी दिन-ब-दिन
अमन का आटा बना रही है हमें पीसकर
हमें पीसकर बना रही है अमन की रोटी
आने वाली पीढ़ियों के लिए ।

येमिन मोश : येरुशलम का एक मोहल्ला
बियालिक के पक्षी : यहूदी कवि बियालिक की पहली कविता 'टू द बर्ड' का सन्दर्भ

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : मनोज पटेल