ये इश्क़ है / शिव रावल
ये इश्क़ है, पांव के फूलों को शूलों में बदल देता है
वस्ल में दौड़ते पैरों तले के काँटें नरम राख़ बना देता है
ये इश्क़ है, ये लगन लगा देता है, उम्मीदें जगा देता है
ये जब चाहे मुस्कुरा देता है, सरे-बाजार रुला देता है
इश्क़ मदारी है, मजबूरी की रस्सी पर नचा देता है
इश्क़ कंजरी है, तमाशाई बना देता है
इश्क़ आफ़त है, जी को जंजाल बना देता है
इश्क़ ख़ामोशी है, लबों पर ताले लगा देता है
इश्क़ चीख़ है, सरेआम चिल्ला देता है
इश्क़ पुकार है, बस अपनी सुनता है सबकी भुला देता है
इश्क़ बग़ावत है, सर को कलम कर देता है
इश्क़ अदब है, मीठी जुबांँ में गा देता है
इश्क़ हया है, पर्दों को भी शरमाना सिखा देता है
इश्क़ ज़हरीला तीर है, इक नज़र से छूटता है इक को मुरीद बना देता है
इश्क़ छुप-छुप कर हंसता है तो, भंवरों में गुनगुना देता है
ये इश्क़ है, आँच आए तो मिलो दूर जमी बर्फ़ भी पिघला देता है
इश्क़ हिचकिचाहट है, आंखों-आंखों में बतिया देता है
इश्क़ चोर है ठग है, सकूं छीन लेता है नींद चुरा लेता है
इश्क़ बच्चा है, सब गिले-शिकवे भुला देता है
इश्क़ मासूम है, ख़ुद राह भटकता है पर औरों को राह दिखा देता है
इश्क़ ख़ामोश खिड़की से झाँकता है ढिंढोरा पिटवा देता है
ये इश्क़ है, पनपता है बढ़ता है, ख़ुशनुमा-सा चहकता है
इश्क़ रूठता है और फिर खुद ही मान जाता है
इश्क़ नीलम-सा चमकता है, मिश्री-सा महकता है
ये खुद को आग लगाता है और फिर मातम को तरसता है
इश्क़ पहली नज़र से देखता है, तमाम उम्र को आँखें गँवा देता है
ये अनोखा साज़ है, बजता है ज़ब मखमली ख़्वाव जगा देता है
इश्क़ चुपके-चुपके झाँकता है, सिलसिले सुलगा देता है
ये दिन को रात समझता है और बारिशों में रेत उड़ा देता है
इश्क़ दरिया है, दबे पाँव बहता है, आग उफ़नता है
इश्क़ इंतज़ार है 'शिव' मुद्दतों को बाट दिखा देता है