ये कह कर मुझ को रुला दिया / मासूम शायर
ये कह कर मुझ को रुला दिया
कि तूने माज़ी भुला दिया
जो किया तूने बुरा किया
उस से बुरा कि बता दिया
तुझ को हमेशा प्यार था
मुझे कितना ये ऐतबार था
बुरा किया ये प्यार तोड़े के
उस से बुरा कि जता दिया
ख्वाबों को तेरी जो दीद थी
मेरी नींदों की वही तो ईद थी
बुरा किया ख्वाब छीन के
उस से बुरा कि सुला दिया
तेरी आँखों के ये जो चिराग़ थे
मेरी मंज़िलों के सुराग थे
बुरा किया निगाहें फेर लीं
उस से बुरा चाँद भी छिपा दिया
तूने कितने ही मुझ को ग़म दिए
मैने आँसू फिर भी कम लिए
बुरा किया कि दामन छुड़ा लिया
उस से बुरा कि मुस्कुरा दिया
कुछ मासूम थी कुछ ज़हीन थी
मेरी रूह की जो भी ज़मीन थी
बुरा किया यहाँ हल चला दिया
उस से बुरा दर्द भी उगा दिया
जो भी मेरा अब हाल है
तेरी मुहब्बतों का कमाल है
बुरा किया मुझ को सँवारा नहीं
उस से बुरा आईना दिखा दिया
मिट्टी का दिल का गाँव था
हर दीवार पर तेरा नाम था
बुरा किया तूने पढ़ा नहीं
उस से बुरा कि मिटा दिया
जिसका भी अब ये गुनाह था
वक़्त सुबूत लम्हा गवाह था
बुरा किया हर गवाह हटा दिया
उस से बुरा सुबूत मिटा दिया
अगॅर्चे अब रिश्ता नहीं
ये दर्द पर जाता नहीं
जो कुछ हुआ वो बुरा हुआ
उस से बुरा कि तूने किया