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ये केरा के पात सुहावन / बघेली
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बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ये केरा के पात सुहावन
अमवा गुलजार
कोइली के बोल रसावन
मोसे रहियउ न जाय।