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ये तमाशा है खेल है क्या है / विजय वाते
Kavita Kosh से
ये तमाशा है, खेल है, क्या है?
ज़िन्दगी है जेल है, क्या है?
खोखला शब्द बोलता ही नहीं,
ये कमां है गुलेल है, क्या है?
यूँ ज़रा सा चमक के उझ जाना,
दिन है, जुगनू का खेल है, क्या है?
कोइ दरवज़ा खोलता ही नहीं,
अपनी दुनिया है, रेल है, क्या है?
बदनिज़ामी है आसमानों में,
तीन छह का, ये मेल है, क्या है?
दाल रोटी के रह गये हो विजय,
नौकरी है, नकेल है, क्या है?