ये दुनिया बनाई किस बेरहम ने / शैलेन्द्र
ये दुनिया बनाई है किस बेरहम ने
ये दुनिया बनाई है किस बेरहम ने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
ये दुनिया बनाई है किस बेरहम ने
ये दुनिया बनाई है किस बेरहम ने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
वो रंगीं बचपन बच के ना आया
जवानी ने आते ही दिल को जलाया
उलझती गईं मेरी मंज़िल की राहें
उलझती गईं मेरी मंज़िल की राहें
दिया मुझको धोखा मेरे हर क़दम ने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
अमीरों ने दौलत से चाहत ख़रीदी
अमीरों ने दौलत से चाहत ख़रीदी
इनसान सब जान कर भी चुप है
इनसान सब जान कर भी चुप है
तुझे बाँध रखा है किस भरम ने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
अरे आसमां चुप क्यूँ है बोल कुछ तो
रहम के समुन्दर डोल कुछ तो
है किस हाल मे देख ले तेरी दुनिया
है किस हाल मे देख ले तेरी दुनिया
है किस हाल मे देख ले तेरी दुनिया
ये क्या कर दिया तेरे रहमो-करम ने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
बदलते है मौसम तो बदलेगी दुनिया
जहाँ को बदल कर ही दम लेगी दुनिया
सितारों से ऊँची है हस्ती हमारी
सितारों से ऊँची है हस्ती हमारी
नई जान डाली उम्मीदों के गम ने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
बड़ा ज़ुल्म देखा ज़माने मे हमने
(फ़िल्म - औरत, 1953)