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ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां / रमेश तन्हा

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ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां
इस दौरे-हादिसात में जी कर तो देखिये
 
पल भर की भूल-चूक में सदियों का है जियां
ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां
अर्ज़-ए-तलब करोगे तो गल जायेगी ज़बां

अर्ज़-ए-तलब के हश्र का मंज़र तो देखिये

ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां
इस दौरे-हादिसात में जी कर तो देखिये।