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ये ना-ख़ुशी से बुताँ का मुझे ख़याल नहीं / इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

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ये ना-ख़ुशी से बुताँ का मुझे ख़याल नहीं
मिज़ाज दिल का मेरे इन दिनों बहाल नहीं

हमेशा मुझ से नई जान चाहता है सजन
ये कौन हट है तू इतना भी ख़ुर्द-साल नहीं

ख़ुदा करे न गिरूँ इश्क़ की मैं नज़रों में
किसू की चश्म-ए-हिक़ारत से कुछ मलाल नहीं

उसूल-ए-इश्क़ ये तोलें तो ज़मज़मा उस का
नहीं दुरूस्त जो बुलबुल शिकस्ता बाल नहीं

‘यक़ीं’ चमन में कुछ इस का सबब नहीं मालूम
कि बुलबुलों का वो हंगामा अब के साल नहीं