भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ये सच है कि वो लामकान था यारो / ज्ञान प्रकाश विवेक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये सच है बात कि वो लामकान था यारो
पर उसकी आँख में इक आसमान था यारो

यहाँ जो सारथी के रूप में नज़र आया
हमारे शहर में वो कोचवान था यारो

मैं सेंधमार से डरता तो किस लिए डरता
मेरा मकान तो ख़ाली मकान था यारो

वही परिन्दों का सब से बड़ा मसीहा था
कि जिसके हाथ में तीरो-कमान था यारो

ज़रूर वो किसी तस्कर की दक्षिणा होगी
पुजारी ले के जिसे बेज़बान था यारो.