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ये सितार बज उठे यों, तेरे तोड़ने के पहले / गुलाब खंडेलवाल
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ये सितार बज उठे यों, तेरे तोड़ने के पहले
कि तड़प ले कुछ तो दुनिया मेरे छोड़ने के पहले
जो छलक रहा है प्याला तेरे हाथ से तो क्या है!
कभी मुँह से तो लगा ले इसे फोड़ने के पहले
जिसे बेरुख़ी था समझा वो नज़र थी बेबसी की
तेरी आँख भर ही आयी, मुझे छोड़ने के पहले
बड़ी हसरतों से आयी मुझे नींद उनके दर पर
मेरी ज़िन्दगी ठहर जा, इसे तोड़ने के पहले
तेरे हार में थे यों तो कई फूल रंगवाले
ये गुलाब पर कहाँ थे मुझे जोड़ने के पहले