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यों तो परदे नज़र के रहे / गुलाब खंडेलवाल
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यों तो परदे नज़र के रहे
प्यार हम उनसे करके रहे
वे न भूलेंगे वादा, मगर
उम्र भर कौन मरके रहे
याद कर भी तो लो, दोस्तो!
हम भी साथी सफ़र के रहे
चलते-चलते कटी ज़िन्दगी
फ़ासिले हाथ भर के रहे
कौन पत्तों में देखे, गुलाब!
लाख तुम बन-सँवरके रहे