भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रंग-1 / जया जादवानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रंग बहते हैं
नीले घेरे के भीतर
मैं प्रतीक्षारत हूँ
तोड़कर घेरा
नीला घेरे लाल को
या लाल ही बढ़कर आगे
तोड़ दे तपस्या उसकी।