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रंजिश तिरी हर दम की गवारा न करेंगे / शेख़ अली बख़्श 'बीमार'

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रंजिश तिरी हर दम की गवारा न करेंगे
अब और ही माशूक़ से याराना करेंगे

बाँधेंगे किसी और ही जोड़े का तसव्वुर
सर ध्यान में उस ज़ुल्फ के मारा न करेंगे

इम्कान से ख़ारिज है कि हूँ तुझ से मुख़ातिब
हम-नाम को भी तेरे पुकारा न करेंगे

यक बार कभी भूले से आ जाएँ तो आ जाएँ
लेकिन गुज़र इस घर में दोबारा न करेंगे

क्या ख़ूब कहा तू ने जो खोलूँ अभी आग़ोश
मिलने से मिरे आप किनारा न करेंगे

गो ख़ाक में मिल जाएँ हम और वज्अ बदल जाएँ
पर तुझ से मुलाक़ात ख़ुद-आरा न करेंगे

उस नर्गिस-ए-‘बीमार’ से रखते हैं शबाहत
हरगिज़ सू-ए-अबहर भी इशारा न करेंगे