रक्षा / आरती 'लोकेश'
चहुँ ओर से दें मजबूती, बनें सुदृढ़ परिवार हम,
बेटियों की रक्षा को अब, चल हो जाएँ तैयार हम।
कैसी भी स्थिति बेटियाँ, करती रहतीं सामंजस्य,
विपरीत भले हो प्रवाह, करती रहतीं पथ प्रशस्य।
उनकी नैया को दिशा दें, लेके चलें पतवार हम,
बेटियों की रक्षा को अब, चल हो जाएँ तैयार हम।
पहले तो उनके जन्म से, बंद करें मातम मनाना,
एक जननी के हाथों दूजी, जननी का नाश कराना।
गर्भ में ही करने को हत्या, के न बनें औजार हम,
बेटियों की रक्षा को अब, चल हो जाएँ तैयार हम।
लिंग जुदा न जुदा सामार्थ्य, बेटी बेटा एक समान,
लक्ष्मी तो कहा युगों से, सरस्वती का दें सम्मान।
स्वावलम्बन और शिक्षा के, उसे दें हथियार हम,
बेटियों की रक्षा को अब, चल हो जाएँ तैयार हम।
प्यार-दुलार नहीं है मात्र, भौतिक सुविधा जुटाना,
नहीं ऑनर किलिंग की भेंट, प्रेम को उसके चढ़ाना,
अमृत से है जिन्हें सींचना, बनें पावन बौछार हम,
बेटियों की रक्षा को अब, चल हो जाएँ तैयार हम।