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रपट कहाँ लिखवाएँ / संजीव ठाकुर
Kavita Kosh से
जाड़े के मौसम ने देखो
अपनी टांग अड़ा दी
दादी की हड्डी में जैसे
ठंडी बर्फ गड़ा दी
खाँस-खाँस कर दादाजी का
बहुत बुरा है हाल
दादाजी को दुख देने की
यह जाड़े की चाल !
किससे करें शिकायत, बोलो
कौन कचहरी जाएँ?
सूरज तो खुद ही कैदी है
रपट कहाँ लिखवाएँ?