भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै / मीराबाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राग बिहागरा


रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै।
कहो कुण धीर बंधावै॥
यो संसार कुबुधि को भांडो, साध संगत नहीं भावै।
राम-नाम की निंद्या ठाणै, करम ही करम कुमावै॥
राम-नाम बिन मुकति न पावै, फिर चौरासी जावै।
साध संगत में कबहुं न जावै, मूरख जनम गुमावै॥
मीरा प्रभु गिरधर के सरणै, जीव परमपद पावै॥

शब्दार्थ :- जिवड़ो = जीव। कुबुधि = दुर्बुद्धि। भांडो = बर्तन। कुमावै = कमाता है। चौरासी = चौरासी लाख योनियां।