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रवानगी / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह
Kavita Kosh से
बहुत देख ली जीवन छाया, उसकी दृष्टि
– कुछ भी अलग दिखा नहीं !
बहुत भोग लिया शहरी शोरगुल, साँझ, रोशनी और हमेशा
– पर सब कुछ सूना लगा यहीं !
खूब जान लिए निर्णय गहरे, मोड़ जीवन के,
मीठा भ्रम औ छली कामना
मैं भर पाया,
नई प्रीत और कोलाहल में
–चल मेरे मन अब और कहीं !
मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह