भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रसायनशास्त्र / विशाखा मुलमुले
Kavita Kosh से
असुरक्षित रसायन बिना किसी उपचार के
तज दिया जाता कारखानों से जीवनदायिनी नदी में
पानीदार मछलियां तड़प - तड़प कर तजने लगती जीवन
इसी तरह भावनाविहीन कई मशीनी मानव भी
गाहे - बगाहे उगलते रहतें मुख से अपने शब्दों के रसायन
आबदार कई व्यक्तित्व आते इस रसायन के चपेट में
कभी - कभी तो रसायन इतना सांद्र
की आँख का पानी भी न कर पाता इसे तनु
पर विज्ञान ही देता है अपाय से बचने के उपाय
मिलता वहीं कहीं से ज्ञान कि,
रसायन गिरे शरीर पर या जमीन पर
या कहें की ज़मीर पर
और बचाना हो जीवन
तब तुरन्त रसायन पर मिट्टी डालो