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रसायन / अनिता मंडा
Kavita Kosh से
बहुत दिनों बाद फ़ोन लगाया था
फिर भी
"हाँ-हूँ" में कट गया
एक गिलास पानी से निगले
गले में भर आये
रोके गए आँसुओं के गोले
बात क्या होती
वो तो घुल चुकी थी
आँसू, पानी, हवा के रसायन में।