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रहबै कनाँ / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

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उमड़ै छै गांग पिया रहबै कनाँ
काँपै छै धोॅर पिया सधबै कनाँ

तिरपालो के छैया तर मन हहराबै
सूरजो के धावों से तन लहराबै
मक्खर के डंक पिया सहबै कनाँ
काँपै छै धोॅर पिया सधबै कनाँ।

सांे सांे सुहकै छै पछिया के झपटी
फों-फों फुफकै छै खटिया संे लपटी
साँपों के संग पिया सुतबै कनाँ..
काँपै छै धोॅर पिया सधबै कनाँ।

हुकरै छै गैया बकरियो मिमयाबै
बुतरू सब ढन-ढन थरिया डेंगाबै
पानी से पेट पिया भरतै कनाँ
काँपै छै धोॅर पिया सधबै कनाँ।