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रह रह कर आती है दिल में इक बात / रमेश तन्हा

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रह रह कर आती है दिल में इक बात
किस के बस में हैं अपने ही हालात
किस सागर में करेगी जा कर विश्राम
जीवन की नदिया बहती है दिन रात।