राख के ढेर में अगन देखूँ
जागरण के नए सपन देखूँ
क़ैदख़ाने की तीरगी में भी
इक सितारों भरा गगन देखूँ
बूढ़ी बीमार सर्द बस्ती में
फिर से यौवन का बाँकपन देखूँ
मौत के ख़ौफ़नाक सायों में
ज़िन्दगी की नई तपन देखूँ
राख के ढेर में अगन देखूँ
जागरण के नए सपन देखूँ
क़ैदख़ाने की तीरगी में भी
इक सितारों भरा गगन देखूँ
बूढ़ी बीमार सर्द बस्ती में
फिर से यौवन का बाँकपन देखूँ
मौत के ख़ौफ़नाक सायों में
ज़िन्दगी की नई तपन देखूँ