रागनी 15 / विजेन्द्र सिंह 'फौजी'
हा-हाकार मचा सारे कै मोटे चाले होगे
पाणी बहया करै था जिनमें वै खुनी नाले होगे
घरबार छुटग्या बेघर होगे मरे भुखे और तिसाए रै
द्राज बटालिक कारगिल म्हं लोग घणे घबराए रै
पाकिस्तान मुर्दाबाद के जा थे नारे लगाए रै
ऊंची-ऊंची पहाडियाँ पै जहाजा नै बंम बरसाए रै
सफेद बर्फ तै ढके रहं थे-2 वै पहाड़ भी काले होगे
हिंद के वीरों नै हंसते-हंसते देश पै जान लुटाई रै
तिरंगा झंडा नहीं झुकण दें सबनै प्लान बणाई रै
जयहिंद जयहिंद बोल कै दुश्मन पै करी चढ़ाई रै
विजय ओपरेशन सफल बणावै जब हो मनकी चाहीरै
गोला बारूद कड़़ पै लादे-2 ढंग निराले होगे
जंग ए मैदान म्हं भारत के सैनिक शेर की तरीयाँ अड़गे
घुसपैठियाँ नै मुश्किल होगी उनकी जान कै पाछै पड़गे
रोष जोश म्हं भरकै सैनिक पहाडियाँ पै चढगे
सर के उपर कफन बाँध कै दुश्मन गैल्या भिड़गे
टाईगर हिल पै झंडा फहरा दिया-2 नये उजाले होगे
लाशों की कोए गिणती ना थी असी छिड़गी जंग
हाथ टुटग्या पैर कटग्या कई होगे घणे अपगं
कारगिल की धरती का खुन तै होग्या लाल रंग
विजेन्द्र सिंह नै हालात देख कै तैयार करा यो छंद
मौत करै थी शोर जोर तैं-2 जान के गाले होगे
तर्ज-एक था बुल और एक थी बुलबुल