रागनी 1 / विजेन्द्र सिंह 'फौजी'
आया बुलावा जाणा होगा मनै धरा ध्यान पलटन म्हं
किस-किस नै मैं समझाऊँ मेरी फसगी जान बिघन म्हं
दे छोड़ नौकरी मतना जावै न्यूं बोली जननी माई
कोली भरकै रोवण लागी बाहण मेरी माँ जाई
कंधे ऊपर हाथ धरा और न्यूं बोल्या मेरा भाई
कारगिल म्हं जंग छिड़ी सै खबर रेडियो पै आई
चेहरे पै-2 उदासी छाई सभी पड़े उल्झन म्हं
बहु मेरी का हाल बुरा था वा खाकै पड़ी तिवाला
न्यु बोली हो साजन मेरे क्यूँ कररे सो चाला
कारगिल म्हं छिड़ी लड़ाई उड़े होरा ढंग कुढाला
ऊक-चुक किमें होगी तै बालका का कौण रुखाला
करदो नै-2 थम जाण का टाला के फुंकौगे इसे धन नै
फेर पिता मेरे नै ढैठ बंधाई बोल्या हंसी खुशी तै जाईये
बुजदिल आला काम ना करिये ना नीची नाड़ कराइये
कदे जननी माँ का दुध लज्जादे ना छोड़ नौकरी आइये
दुश्मन गैल्या लड़कै नै देश की शान बढ़ाइये
खाणा-पीणा-2 आच्छा खाइये ना चिंता करिये मन म्हं
लिख्या भाग म्हं भर्ती होणा क्युकर मैं टल जाऊँ
छिड़ी लड़ाई नहीं गया तै मैं गद्दार कहाऊँ
घुट-घुट कै ना जिया जागा मैं कोन्या नाम कटाऊँ
विजेन्द्र सिंह नै सोच लई ना उल्टा कदम हटाऊँ
हरि चरण म्हं-2 ध्यान लगाऊँ करता हरि भजन मैं
तर्ज-मेरी चढ़ती जवानी तड़पे वादा ना तोड़