राजत सिसुरूप राम सकल गुन-निकाय-धाम / तुलसीदास
राग कल्याण
राजत सिसुरूप राम सकल गुन-निकाय-धाम,
कौतुकी कृपालु ब्रह्म जानु-पानि-चारी |
नीलकञ्ज-जलदपुञ्ज-मरकतमनि-सरिस स्याम,
काम कोटि सोभा अंग अंग उपर बारी ||
हाटक-मनि-रत्न-खचित रचित इंद्र-मन्दिराभ,
इंदिरानिवास सदन बिधि रच्यो सँवारी |
बिहरत नृप-अजिर अनुज सहित बालकेलि-कुसल,
नील-जलज-लोचन हरि मोचन भय भारी ||
अरुन चरन अंकुस-धुज-कञ्ज-कुलिस-चिन्ह रुचिर,
भ्राजत अति नूपुर बर मधुर मुखरकारी |
किङ्किनी बिचित्र जाल, कम्बुकण्ठ ललित माल,
उर बिसाल केहरि-नख, कङ्कन करधारी ||
चारु चिबुक नासिका कपोल, भाल तिलक, भ्रुकुटि,
श्रवन अधर सुन्दर, द्विज-छबि अनूप न्यारी |
मनहुँ अरुन कञ्ज-कोस मञ्जुल जुगपाँति प्रसव,
कुन्दकली जुगल जुगल परम सुभ्रवारी ||
चिक्कन चिकुरावली मनो षडङ्घ्रि-मण्डली,
बनी, बिसेषि गुञ्जत जनु बालक किलकारी |
इकटक प्रतिबिम्ब निरखि पुलकत हरि हरषि हरषि,
लै उछङ्ग जननी रसभङ्ग जिय बिचारी ||
जाकहँ सनकादि सम्भु नारदादि सुक मुनीन्द्र,
करत बिबिध जोग काम क्रोध लोभ जारी |
दसरथ गृह सोइ उदार, भञ्जन संसार-भार,
लीला अवतार तुलसिदास-त्रासहारी ||