भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजस्थान / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खाली धड़ री कद हुवै
चैरै बिन्यां पिछाण ?
मायड़ भासा रै बिन्यां
क्यां रो राजस्थान ?

राजनीति री दीठ स्यूं
बणग्यो राजस्थान,
पण निज भासा रै बिन्यां
ओ लागै निश्‍प्राण,

भासा है संजीवणी
जे कोई हड़मान!
ल्यावो, उठ बैठो हुवै
लिछमण राजस्थान।