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राज़ दिल का कहीं वह जान न ले / कैलाश झा 'किंकर'

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राज़ दिल का कहीं वह जान न ले
बेजुबां प्यार भी ज़ुबान न ले।

काम करके ही पेट भरना है
भीख चाहे किसी का दान न ले।

लोग कहते हैं काम है कहना
पर ग़लत बात को भी मान न ले।

तूने मेरी ज़मीन ले ली है
मेरे हिस्से का आसमान न ले।

घर तो संतान की ही खातिर है
बाप से छीनकर मकान न ले।