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राजा जनक जी चारियो बेटी / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में जनमानस ने राम-विवाह संबंधी ऐतिहासिक तथ्य को अपनी दृष्टि से देखा है। इसमें राजा जनक की चारों लड़कियों में बड़ी लड़की से महादेव, मँझली से गोपीचंद, सँझली से इन्द्र और छोटी से राम विवाह करने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं, महादेव तो डमरू बजाते ही हैं, लेकिन राम मुरली, इंद्र आजन-बाजन और गोपीचंद अपना झंडा उड़ाते हैं। परंतु, अंत में लोकमानस ऐतिहासिक तथ्य को नहीं भूला है। सीता की अँगुली राम ही पकड़ते हैं।

राजा जनक जी चारियो बेटी, चारियो बारि कुमारि हे।
चारो बिहायब<ref>विवाह करूँगा</ref> एकहि माड़ब, एके लगन सोचाय हे॥1॥
बड़की बिहायब इसर<ref>ईश्वर</ref> महादेव, मैझली<ref>वह लड़की जो बड़ी लड़की से छोटी हो तथा उससे भी छोटी कोई संतान हो!</ref> बिहायब गोपीचंद हे।
सेॅझली<ref>वह लड़की, जिससे बड़ी दो संतानें हों तथा उसे छोटी संतान भी हो</ref> बिहायब इनरासन<ref>इंद्रासन</ref> के राजा, छोटकी बिहायब सीरी राम हे॥2॥
इसर महादेब डमरू बजाबै, मुरली बजाबै सीरी राम हे।
इनरासन के राजा आजन बाजन, गोपी के झंडा निसान हे॥3॥
कौने रीखि देलन झझरी<ref>पानी पिलाने का टोंटीदार पात्र</ref> तमरुआ<ref>ताँबे का घड़ा</ref> कौने रीखि देलनधेनु गाय हे।
कौने रीखि देलन सीता ऐसन बेटिया, कौने लेलन अँगुरी लगाय हे॥4॥
चाचा रीखि देलन झझरी तमरुआ, भैया रीखि देलन धेनु गाय हे।
बबा रीखि देलन सीता ऐसन बेटिया, राम लेलन अँगुरी लगाय हे॥5॥
जहि दिन आहे सीता तोहर जलम भेल, नगर परल बिसमार<ref>उदास, विषणता; विस्मय</ref> हे।
जहि दिन आहे सीता तोहरी बिहा भेल, नगर परल झँझकार<ref>आनन्द; उछाह</ref> हे॥6॥
सासु ननद घर मंगल गाबै, परभु जी के बहुत उछाह हे॥7॥

शब्दार्थ
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