रात्रि में बर्फ़ गिर रही है / नाज़िम हिक़मत
उस पार के संसार के स्वर नहीं सुनता हूँ
और न अपनी कविता में प्रयत्नशील अतल कहलाने को
जौहरी की भाँति सावधानी से नहीं ढूँढ़ता हूँ तुक मिलाने को?
सुन्दर शब्द नहीं, गम्भीर वार्ता नहीं
ख़ुदा का शुक्र है
इन सबसे ऊपर हूँ
आज रात इन सबसे अच्छी तरह ऊपर हूँ।
आज रात
सड़कों का गायक हूँ, मेरे स्वरों में कोई कौशल नहीं,
मेरे स्वर तुम्हारे लिए एक गीत गाते हैं
जो तुम्हारे कानों तक पहुँचने में सफल नहीं
आज रात बर्फ़ गिर रही है।
मैड्रिड के द्वार पर तुम खड़े हो।
एक सोना तुम्हारे समक्ष खड़ी
हमारी सुन्दरतम निधियों को धराशायी करती है
आशा, आकाँक्षा, मुक्ति, शिशुओं को
नगरों को।
बर्फ़ गिर रही है
और शायद आज रात
तुम्हारे भीगे पैरों को सर्दी लग रही है।
बर्फ़ गिर रही है
और इस वक़्त जब मैं तुम्हारे विषय में सोचता जाता हूँ
शायद इसी वक़्त तुम्हें गोली घायल कर रही हो
तो फिर तुम्हारे लिए नहीं रह जाएगी
बर्फ़, हवा, दिन, रात।
बर्फ़ गिर रही है
मैड्रिड के द्वार पर खड़े होने के पूर्व
’रास्ता बन्द है’ — यह कहने के पूर्व
निश्चय ही तुमने ज़िन्दगी का सुख भोगा था।
कौन जाने
शायद यह बात हो
तुम अस्तूरिया की कोयले की खानों से आए थे
शायद तुम्हारे सिर के चारों ओर ख़ून से लथपथ जो पट्टी है
उत्तर में तुम्हें मिले ज़ख़्मों को छिपाए है।
और शायद तुम्हीं ने नगर उपकूल में आख़िरी गोली चलाई थी
’ज़ंकर’ जब बिलबाओ को जला रहे थे
या शायद तुम एक भाड़े के आदमी थे
किसी काउण्ट फ़र्डनैण्डो वालेस्केरास दी कादौंबन के फ़ार्म पर
शायद ’प्लाजा देल सोल’ में तुम्हारी एक छोटी दुकान थी
और तुम रंगीन स्प्रैनिश फल बेचते थे।
शायद तुम कौशल-विहीन थे, शायद तुम्हारे स्वरों में सुन्दरता थी,
शायद तुम दर्शन या कानून के विद्यार्थी थे
और तुम्हारी पुस्तकें तुम्हारे विश्वविद्यालय के प्राँगण में
हाली के टैंकों के पहियों ने कुचली थीं।
शायद तुम अनीश्वरवादी थे
पर शायद तुम्हारी छाती पर क्रॉस, छोटा-सा
धागे से लटकता है।
कौन हो तुम, नाम क्या है, कहाँ है तुम्हारा जन्मस्थान?
मैंने तुम्हारा चेहरा देखा नहीं, और वह कभी नहीं देख पाने को हूँ।
कौन जाने
शायद वह उनके चेहरों से कुछ मिलता है
जिन्होंने कल्चाक को साइबेरिया में हराया था
शायद वह उनके चेहरे से कुछ मिलता है
एक जो दुमलुपीनार की रणभूमि में है
शायद यह भी हो कि तुम्हारा चेहरा रौब्सपियर-सा हो।
मैंने तुम्हारा चेहरा नहीं देखा
और तुम्हारा चेहरा कभी नहीं देख पाऊँगा
तुमने भी मेरा नाम नहीं सुना,
मेरा नाम तुम कभी नहीं सुन पाओगे।
हम दोनों के बीच सिन्धु और पर्वत हैं,
मेरी अभिशप्त निस्सहायता है,
और ’अहस्तक्षेप समिति’ है।
मैं तुम्हारे पास आ नहीं सकता
मैं तुम्हारे पास भेज नहीं सकता
कारतूसों का एक डिब्बा
ताज़े अण्डे
और एक जोड़ा ऊनी मोज़े।
आह, मैं जानता हूँ, जानता हूँ,
इस सर्द बर्फ़ीले मौसम में
मैड्रिड के द्वार की रक्षा में लगे हुए भीगे हैं तुम्हारे पाँव
सर्द हैं दो नंगे बच्चों की तरह।
जानता हूँ,
दुनिया में जो कुछ महान् है सुन्दर है
जो कुछ महान् या सुन्दर है
जिसका निर्माण अभी मानव को करना है
मतलब कि जो कुछ है
जिसके लिए मेरी तृषित आत्मा आशा लगाए है
मैड्रिड के द्वार खड़े उस सन्तरी की।
हँसता है आँखों में
और कल भी, परसों की तरह ही, आज रात की ही तरह
मैं उसको प्यार के सिवा और कुछ करने में समर्थ नहीं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह