रात अन्धेरी में पहाड़ी की डरौनी मूर्ति
कैफ़ियत एक मनोहर थी वह पैदा करती-
एक कैफ़ियत मनोहर
देखें तो होवें शशदर
सुन्दर भयंकर।
दरख़्तों की हू हू, पबन की लपट,
निशा मय प्रकृति वो कर्कश समय
घनाघोर धुप में दमक दामिनि की
स्वरूपीय भय के समागत थे सेना,
महादेव यम राज्य स्वाधीन करते