भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात की रानी / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात की रानी
चंद्रलोक से आ
मदरास में
चाँदनी-चाँदनी हुई
पूरे जिस्म से मुसकुराई
जमीन में जादू
और सागर में
जादू हुआ
गगन की रंभा जीवन में
जी भर नाची
सागर ने लहराई लहरों से
मंद मधुर मृदंग बजाया
महानगर ने
सौन्दर्य का महोत्सव
पूर्णमासी में मनाया

रचनाकाल: ०८-११-१९७६, मद्रास