रात के साथ ही जब दर्द जवां होता है।
मेरे ज़ख़्मों से नया शम्स अयाँ होता है।
रक़्स करता है सर ए शाम मेरी आँखों में,
एक चेहरा जो मेरे दिल में निहाँ होता है।
लब के इंकार को इंकार न समझा जाए,
राज़ उल्फ़त का निगाहों से बयाँ होता है।
करवटें खींचती हैं सिलवटों में तस्वीरें,
साथ इक इश्क़ के क्या ख़ूब समां होता है।
ख़ून उगलती है मेरी रूह ए वफ़ा की धड़कन,
मेरी नस -नस में तेरा इश्क रवाँ होता है।
वक़्त के साथ जो हर गाम बदल जाते हैं,
उनका दुनिया में कहाँ नाम ओ निशां होता है।
हमनवा ,हमनशीं, हमराह भी जो हो " रिंकी"
एक ही शख़्स में ये जादू कहाँ होता है।