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रात में बहन-घर / प्रेमरंजन अनिमेष
Kavita Kosh से
मैं तो हुई तबाह तबाह !
कब करने देते हैं कुछ भी
हैं शैतान तीन-तीन
फिर भी कैसे-कैसे करके
कुछ मीठा और कुछ नमकीन
देखो बना के रक्खा था
कि तुम खाओगे
देखो लगा ये कैसे मुझको
तुम आओगे
लाती बहन थाल में क्या-क्या
खाता हूँ मैं सराह-सराह !