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रात हवा ने जब जलने की कोशिश की / रंजना वर्मा

रात शमा ने जब जलने की कोशिश की
तेज हवाओं ने चलने की कोशिश की

बेचैनी तब-तब बनकर दुश्मन आयी
ख़्वाबों में जब-जब ढलने की कोशिश की

चलती रही दूर तक मेरी खामोशी
वादों को जब-जब करने की कोशिश की

उँगली रख दी तुमने नाजुक होठों पर
जब जब मैंने कुछ कहने की कोशिश की

खुशियाँ तब इस दर का रस्ता भूल गयीं
वक्त बदलने की जब हमने कोशिश की

अरमानों की एक इमारत की खातिर
तुंग हिमाला ने गलने की कोशिश की

उड़ने की कोशिश में गिर-गिर पड़ता पर
पंछी ने फिर-फिर उड़ने की कोशिश की