भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात / सिद्धेश्वर सिंह
Kavita Kosh से
रात
ख़ुद से कर रही है बात ।
शब्दों की बिसात पर
ख़ुद को ही शह ख़ुद से ही मात ।
कौन है
जो नींद को जगाए हुए है ?
कौन है
जो आधी रात को कह रहा है शुभ प्रभात !