राधा प्यारी दे डारोजी बनसी हमारी।
ये बनसीमें मेरा प्रान बसत है वो बनसी गई चोरी॥१॥
ना सोनेकी बन्सी न रुपेकी। हरहर बांसकी पेरी॥२॥
घडी एक मुखमें घडी एक करमें। घडी एक अधर धरी॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलपर वारी। राधा प्यारी दे०॥४॥
राधा प्यारी दे डारोजी बनसी हमारी।
ये बनसीमें मेरा प्रान बसत है वो बनसी गई चोरी॥१॥
ना सोनेकी बन्सी न रुपेकी। हरहर बांसकी पेरी॥२॥
घडी एक मुखमें घडी एक करमें। घडी एक अधर धरी॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलपर वारी। राधा प्यारी दे०॥४॥