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रामा हो जगजीवन मोरा / रैदास

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रामा हो जगजीवन मोरा।
तूँ न बिसारि राम मैं जन तोरा॥टेक॥

संकट सोच पोच दिनराती।
करम कठिन मोरि जाति कुजाती॥१॥

हरहु बिपति भावै करहु सो भाव।
चरण न छाड़ौं जाव सो जाव॥२॥

कह रैदास कछु देहु अलंबन।
बेगि मिलौ जनि करो बिलंबन॥३॥