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राम-लीला गान / 22 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
श्रीराम के विवाह चारों भाइयों का मण्डप में आना और महिलाओं द्वारा गीत गाना।
बर चारू जनवाँ से सोभत बा अँगनवाँ, हाय रे जियरा; बाड़न रूप के खाजानवाँ, हाय रे जियरा।
आज के ह घन रोज पंचमी लगनवाँ, हाय रे जियरा; धन मास अगहनवाँ, हाय रे जियरा।
ईहे कहि-कहि कर गावत बाड़ी गानावाँ, हाय रे जियरा; तिरहुति के जनानावाँ, हाय रे जियरा।
चरण कमल में ‘भिखारी’ के कथनवाँ, हाय रे जियरा; तेकर करीं का बखानवाँ, हाय रे जियरा।