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राम-लीला गान / 34 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
विवाह के बाद मिथिला में दुलहा के साथ रंग-अबीर खेलने की प्रथा है। उसी की तैयारी का वर्णन।
रामजी के डालबि रंग घोरि के।टेक।
स्याम सुंदरजी से नाता चलल अब, बर होइ गइलन किसोरी के। रामजी के...
धन-धन भाग हमार भइल आज, भल रितु आइल बा होरी के। रामजी के...
समुझऽ सखी अब फेर ना आई, अइसन अवसर बहोरि के। रामजी के...
लागत बा लाज अकेला ना जाइब, सखियन के लेहबि बटोरि के। रामजी के...
सूखल अबीर हम मुँह में रगरब, दूनो हाथ झकझोरि के। रामजी के...
कहत ‘भिखारी’ पैर पर गिरब, सोझा होखब कर जोरि के। रामजी के...